अनूठी परंपरा ! समूचे शरीर पर लिखवाते हैं राम नाम…

-पिछली एक शताब्दी से जारी से यह परंपरा
यह पूर्णतौर से सत्य है कि राम नाम का जाप करने से हर कष्टा का निवारण हो जाता है। इस जगत में राम के नाम को ही सत्य कहा गया है। भारत में एक एेसा समाज भी है, जो राम नाम की महिमा से ओतप्रोत है। मन में राम नाम की महिमा को बसाए इस समाज के लोग अपने समूचे शरीर पर राम नाम लिखवाते हैं। यर परंपरा कब से इस समाज ने अपनाई हुई है। आईए आज आपको इस समाज के बारे विस्तार से जानकारी देते हैं कि यह समाज भारत के किस राज्य में रहता है।

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किस राज्य में रहते हैं रामनामी समाज
कहा जाता है कि छत्तीसगढ़ के रामनामी समाज से संबंधित लोगों को एक शताब्दी पहले उंची जाति के लोगों ने मंदिर में घुसने से रोक दिया। इस घटना से आहत हो कर इस समाज के लोगों ने पूरे शरीर पर राम नाम का टैटू बनवाना शुरु कर दिया। इस समूची घटना में भगवान की भक्ति के साथ समाजिक बगावत दिखाई दी। इस समाज के लोग न मंदिर जाते हैं, न ही मूर्ति पूजा करते हैं। समूचे शरीर पर राम नाम को लिखवाने को वहां पर गोदना कहा जाता है।

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रामनामी समाज को रमरमिहा के नाम जाता है पुकारा
रमानामी समाज को यहां पर रमरसिहा के नाम से भी पुकारा जाता है। यहां के लोग जहां शरीर पर राम नाम लिखवाते हैं। वहीं यहां के लोग राम नाम लिखे कपड़ों को पहनना अपनी शान समझते हैं। 76 साल के बुजुर्ग रामनामी टंडन का कहना है कि जिस दिन मैंने ये टैटू बनवाया, उस दिन मेरा नया जन्म हुआ था। इनके शरीर पर बने टैटू चाहे कुछ धुंधले हो चुके हैं, लेकिन उनके आज भी कोई भी इस विश्वास में कोई कमी नहीं आई है। इस समाज से संबंधित लोगों का कहना है कि वह भगवान को किसी खास जाति के साथ नहीं जोड़ते हैं। रामनामी जाति के लोगों की आबादी तकरीबन एक लाख है। इन सभी में टैटू बनवाना एक आम बात है। नई पीढ़ी के युवाओं ने खुद को इस परंपरा से कुछ दूर किया है। परंतु वह अपने समूचे शरीर पर राम नाम को लिखवाने के स्थान पर शरीर के कुछ हिस्से में राम नाम लिखवा कर एक सदी से जारी परंपरा को निभा रहे हैं। इस समाज के अधिकतर घरों के बाहर राम-राम लिखा हुआ है। यहां के लोगों को शराब पीने की मनाही है। यहां पर आम बोलचाल की भाषा में राम नाम बोलना जरूरी है।

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राम-राम लिखवाने का खास अंदाज
रामनामियों की पहचान राम-राम लिखवाने का भी एक खास अंदाज है। शरीर के किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाने वाले को रामनामी कहा जाता है। माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को शिरोमणि कहते हैं। पूरे माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को सर्वांग रामनामी और पूरे शरीर पर राम नाम लिखवाने वाले को नखशिख रामनामी के नाम से पुकारा जाता है।

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रामनामी समाज की करवाई रजिस्ट्रेशनन
रामनामी समाज ने कानूनन रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ है। इस समाज के लोग लोकतांत्रिक तरीके से हर पांच साल बाद चुनाव करवाते हैं। और ड्रेमोक्रेटिक तरीके से उनके चुनाव हर 5 साल के बाद करवए जाते हैं। कानून में बदलाव के जरिये समाज में उंच-नीच को मिटाने का काम किया जा रहा है। रामनामी समाज लोगों भी अब बराबरी पाने की उम्मीदें लगाए बैठे हैं।

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प्रदीप शाही

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