अदभुत ! एप्पल व फेसबुक के संस्थापकों ने भी इस भारतीय बाबा को माना था अपना गुरु

धर्मेन्द्र संधू

देश के कोने-कोने में मौजूद रहस्यमयी मंदिर आज भी लोगों की जिज्ञासा का विषय बने हुए हैं। देश के साथ ही विदेशी श्रद्धालुओं की आस्था भी इन मंदिरों से जुड़ी हुई है। एक ऐसा ही मंदिर उत्तराखंड में स्थित है, जहां फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी नतमस्तक हो चुके हैं। और इससे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि मार्क जुकरबर्ग इस स्थान पर एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स के कहने पर पहुंचे थे।

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कैंची धाम

उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल के पास स्थित है कैंची धाम। ‘नीब करौरी बाबा’ या ‘नीम करौली धाम’ के नाम से विख्यात यह मंदिर व आश्रम लोगों की आस्था का केन्द्र है। इस स्थान पर मुख्य रूप से हनुमान जी का मंदिर बना हुआ है। आश्रम व मंदिर का यह नाम इस मंदिर के पुजारी स्वर्गीय नीम करौली बाबा के नाम पर पड़ा। यह मंदिर नैनीताल के भवाली-अल्मोड़ा हाईवे पर स्थित है। इस स्थान पर दो घुमावदार मोड़ हैं जो कैंची के जैसे दिखते हैं, इस लिए इस स्थान को ‘कैंची धाम’ के नाम से जाना जाता है।

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सादा जीवन व्यतीत करते थे नीम करौली बाबा

नीम करौली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के गांव अकबरपुरा में हुआ था। इनका नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। लोगों का मानना है कि नीब करौरी नामक गांव में तपस्या करने के कारण वह नीब करौरी या नीम करौली बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए। 1962 में बाबा ने मौजूदा स्थान पर पहुंचकर इसे पावन बना दिया। नीम करौली बाबा की उपलब्ध तस्वीरों से इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि बाबा सादा जीवन जीते थे। ज्यादातर तस्वीरों में बाबा ने कंबल ही ओढ़ा हुआ है। चाहे बाबा अलौकिक शक्तियों के स्वामी थे, लेकिन उन्होंने कभी भी साधु-महात्माओं वाले वस़्त्र नहीं पहने थे। नीम करौली बाबा का देहांत 1973 में हुआ था। इस मंदिर में नीम करौली बाबा की गद्दी, कंबल, छड़ी व निजी वस्तुएं संभालकर रखी गई हैं। भक्त बाबा को हनुमान जी का अवतार मानते हैं।

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नीम करौली बाबा से जुड़ी हैं कई कहानियां

कहा जाता है कि हनुमान जी के भक्त नीम करौली बाबा के पास अलौकिक व दिव्य शक्तियां थीं। नीम करौली बाबा को लोग पहले पंडित नारायण के नाम से जानते थे। यह भी कहा जाता है कि बाबा दिव्य शक्ति से गायब और प्रकट हो जाते थे और बाबा को हर घटना के घटित होने का पहले ही पता होता था। कहा जाता है कि एक बार इस स्थान पर भंडारा चल रहा तो घी खत्म हो गया तो बाबा के कहने पर श्रद्धालु पास ही बहती नदी से पानी भरकर ले आए तो वह पानी घी में बदल गया।

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एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स भी आ चुके हैं इस स्थान पर

एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स इस स्थान पर बाबा को मिलने की इच्छा से आए थे, लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी थी क्योंकि स्टीव जॉब्स के यहां पहुंचने से पहले बाबा का निधन हो गया था। कहते हैं कि स्टीव जॉब्स संन्यास लेना चाहते थे। इसी उद्देश्य से वह यहां पहुंचे थे। इसके बाद वह कुछ दिनों तक इस स्थान पर रुके और ध्यान लगाया। इस स्थान से प्रेरित होकर ही उन्होंने संन्यास लेने की जगह अमेरिका लौटकर अपनी नई एप्पल नामक कंपनी की स्थापना की। कहा जाता है कि इसके बाद स्टीव जॉब्स बाबा के ऐसे श्रद्धालु बने कि मौत के समय भी उनके तकिए के नीचे बाबा की तस्वीर पड़ी हुई थी।

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फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी हो चुके हैं नतमस्तक

स्टीव जॉब्स के बाद फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी इस स्थान पर नतमस्तक हो चुके हैं। कहते हैं कि 2004 में जब मार्क जुकरबर्ग की कंपनी फेसबुक पर संकट आया कि वह कंपनी को बेचने के बारे में सोचने लगे। तब स्टीव जॉब्स ने मार्क जुकरबर्ग को कैंची धाम जाने की सलाह दी। इस स्थान पर आने के बाद वह इस मुसीबत से निकले थे। इसके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स भी नीम करौली बाबा की श्रद्धालु रही है।

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कैसे पहुंचें कैंची धाम

दिल्ली से काठगोदाम तक रेल गाड़ी से पहुंचा जा सकता है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से टैक्सी के द्वारा मंदिर तक जा सकते हैं। काठगोदाम से कैंची धाम की दूरी 37 किलोमीटर के करीब है। रोडवेज की बस से भी हल्द्वानी पहुंचने के बाद आप टैक्सी ले सकते हैं। हल्द्वानी से नीब करौरी बाबा मंदिर 73 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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