अंजान सच ! केवल लक्ष्मण ही मेघनाद का वध करने में थे सक्षम

-लक्ष्मण की भक्ति बिना भी अधूरी है श्री राम कथा
रामायण की श्री राम कथा, भगवान श्री राम के अनुज शेषनाग के अवतार लक्ष्मण और भगवान शिव के अवतार भक्त हनुमान जी की भक्ति के बिना पूर्ण हो ही नहीं सकती है। भगवान श्री राम ने बलशाली लंकापति रावण औऱ कुंभकर्ण जैसे वीरों को वध किया। वहीं लक्ष्मण ने भी इंद्रजीत (मेघनाद) सहित कई शक्तिशाली असुरों को मारा। तो भक्त हनुमान ने कई बलशाली वीरों के अहंकार को तोड़ने के अलावा लक्ष्मण के मूर्छित होने पर संजीवनी बूटी लाकर जान बचाई। अगस्त्य मुनि का मानना था कि इस धरती पर केवल लक्ष्मण ही थे, जो मेघनाद का वध कर सकते थे। आखिर अगस्त्य मुनि एेसा क्यों मानते थे। आईए इस रहस्य से पर्दा उठा कर आपको अवगत करवाते हैं।

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अगस्त्य मुनि ने मेघनाद के बारे क्या बताया ?
अयोध्या लौटने पर भगवान श्रीराम ने अगस्त्य मुनि को बताया कि उन्होंने कैसे लंकापति रावण और कुंभकर्ण जैसे वीरों का वध किया। और लक्ष्मण ने भी इंद्रजीत सहित कई राक्षसों को मारा। तब अगस्त्य मुनि ने कहा कि श्रीराम आपने चाहे रावण और कुंभकर्ण को मारा। परंतु सबसे बड़ा वीर तो मेघनाध ही था। मेघनाद ने तो अंतरिक्ष में स्थित होकर देवराज इंद्र से युद्ध कर उसे परास्त किया। फिर उसे अपने साथ बांधकर लंका ले आया। जब ब्रह्मा जी ने मेघनाद से दान के रूप में इंद्र मांगा था, तब इंद्र मुक्त हुए थे।

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मेघनाद का वध रावण औऱ कुंभकर्ण से अधिक मुश्किल कैसे ?
अगस्त्य मुनि ने कहा कि मेघनाद को भगवान से वरदान प्राप्त था कि उसका वध वही कर सकता था जो चौदह सालों तक सोया न हो। जिसने चौदह साल तक किसी स्त्री का मुख न देखा हो और चौदह साल तक ही भोजन न किया हो। वह इंसान केवल लक्ष्मण था। परंतु श्रीराम बोले मैं तो बनवास काल में चौदह वर्षों तक नियमित रूप से लक्ष्मण के हिस्से के फल उसे देता था। मैं सीता के साथ एक कुटिया में भी रहता था। साथ वाली कुटिया में लक्ष्मण रहता था। फिर सीता का मुख न देखना, भोजन न खाना और चौदह वर्षों तक न सोना। यह कैसे संभव हुआ। अगस्त्य मुनि सारी बात समझकर मुस्कुराए। उन्हें पता था कि प्रभु से कुछ भी छिपा नहीं है। परंतु वह केवल अपना गुणगान नहीं चाहते हैं। वह तो अपने भाई लक्ष्मण के तप और वीरता की चर्चा भी चाहते हैं। तब अगस्त्य मुनि ने कहा कि इस बाबत तो लक्ष्मण जी से ही पूछा जाए।

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आखिर लक्ष्मण ने श्री राम को क्या दिए उत्तर ?
भगवान श्री राम ने लक्ष्मण से पूछा कि हम तीनों चौदह साल तक साथ रहे। फिर भी तुमने सीता का मुख कैसे नहीं देखा, फल दिए परंतु तुमने खाए नहीं, और 14 साल तक सोए नहीं ? लक्ष्मण बोले जब हम माता सीता को तलाशते ऋष्यमूक पर्वत गए तो सुग्रीव ने हमें उनके आभूषण दिखाकर पहचानने को कहा। आपको याद होगा मैं तो सिवाए उनके पैरों के नुपूर के अलावा कोई आभूषण नहीं पहचान पाया था। क्योंकि मैंने कभी भी उनके चरणों के उपर कभी देखा ही नहीं था।
चौदह वर्ष न सोने के सवाल पर लक्ष्मण ने कहा कि आप औऱ माता एक कुटिया में सोते थे। मैं रात भर बाहर धनुष पर बाण चढ़ाए पहरेदारी में करता था। निद्रा ने कई बार मेरी आंखों पर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन मैंने निद्रा को अपने बाणों से उसे वेध दिया। आखिर निद्रा ने मुझे कहा कि वह मुझे 14 साल छुएगी भी नहीं। जब श्री राम का राज्याभिषेक होगा। तभी वह मुझे स्पर्थ करेंगी। आपको याद होगा जब राज्याभिषेक के समय मेरे हाथ से छत्र गिर गया था। तब निद्रा ने मुझे 14 साल बाद स्पर्श किया था।

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भोजन ने करने पर लक्ष्मण बोले मैं जंगल से जो फल-फूल लाता था। आप उसके तीन भाग करते थे। उसमें एक भाग देकर आप मुझसे कहते थे कि लक्ष्मण यह फल रख लो। आपने कभी फल खाने को नहीं कहा। फिर बिना आपकी आज्ञा के मैं उसे ग्रहण करता। विश्वामित्र मुनि से मैंने एक अतिरिक्त विद्या का ज्ञान लिया था। वह ज्ञान था बिना आहार किए जीने की विद्या। उस ज्ञान के चलते ही मैं चौदह साल तक अपनी भूख को नियंत्रित कर सका। इसलिए 14 साल तक मैंने भोजन नहीं किया। वह सभी पल मैंने संभाल कर रख लिए थे। श्री राम के आदेश पर उस कुटिया फल मंगवाए गए। फलों की गिनती की तो उसमें सात दिन के फल कम निकले। तब श्री राम ने कहा कि फल कम होना इस बात को प्रमाणित करता है कि तुम ने सात दिन फलों का सेवन किया। तब लक्ष्मण ने बताया कि सात दिनों तक फल नहीं लाए गए थे। पहले-जिस दिन पिता जी के देहांत की सूचना मिली थी। दूसरे-रावण ने जब माता सीता का हरण किया था। तीसरे- समुद्र देव से लंका जाने के लिए रास्ता मांगने के समय साधना की। चौथे- जिस दिन इंद्रजीत ने नागपाश से आपको अचेत किया। पांचवें- जिस दिन इंद्रजीत ने मायावी सीता को काटा था और हम शोक में रहे। छठे – जिदिन रावण ने मुझे शक्ति मारी और सातवें-जिस परम ज्ञानी शिव भक्त रावण का वध हुआ। इन बातों को सुन कर भगवान श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण जी को अपने सीने से लगा लिया ।

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प्रदीप शाही

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