सदन में अकालियों का ग़ैर-जिम्मेदाराना रवैया आश्चर्यजनक और शर्मनाक- कैप्टन अमरिन्दर सिंह

चंडीगढ़, 5 मार्च:
सदन में अकाली विधायकों के हंगामे और ग़ैर-जि़म्मेदार रवैय के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने शुक्रवार को इस आश्चर्यजनक व्यवहार के साथ-साथ खेती कानूनों के मुद्दे पर शर्मनाक ढंग से यू.टर्न लेने के लिए अकालियों की कड़े शब्दों में निंदा की है।
विधानसभा के स्पीकर द्वारा बार -बार अपील करने के बावजूद सदन की कार्यवाही में विघ्न डालने के कारण स्पीकर ने शिरोमणि अकाली दल के सभी विधायकों को बजट सत्र के शेष समय के लिए निलंबति कर दिया है। सदन की कार्यवाही 15 मिनटों के लिए स्थगित करते हुए स्पीकर ने मार्शलों को अकाली विधायकों के इस सलूक के लिए उनको सदन से हटाने के लिए कहा।

 

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सत्ताधारी बैंचों की तरफ से ‘शर्म करो, शर्म करो’ की आवाज़ों के बीच मुख्यमंत्री ने विधानसभा में राज्यपाल के भाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर अपनी जवाब में किसान आंदोलन पर विचार पेश करते हुए कहा कि सुखबीर बादल और हरसिमरत बादल, दोनों ने खेती कानूनों के मुद्दे पर दोगलापन दिखाकर पंजाब के लोगों के साथ धोखा किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल के प्रधान ने तो शुरुआत में उनकी सरकार पर ही दोष लगाऐ थे कि उनके द्वारा किसानों को गुमराह किया जा रहा है और यहाँ तक कि अकाली प्रधान ने यह दावा भी किया था कि ये खेती कानून किसानों के हक में हैं। उन्होंने कहा कि इसके बाद सुखबीर बेशर्मी के साथ अपने पहले स्टैंड से पलट गया और इन कानूनों के विरोध में उतर आया। उन्होंने 25 जून, 2020 के एक पत्र का कुछ हिस्सा भी पढ़ा जिसमें सुखबीर बादल पूरी तरह खेती कानूनों का समर्थन करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि, ‘‘इन ऑर्डीनैंसों में ऐसा कुछ भी नहीं है जो संघीय ढांचे या किसानों के खि़लाफ़ हो।’’ सुखबीर ने इस पत्र में यह भी कहा कि यदि सरकार इस बारे में स्पष्ट न हुई तो जिस समय सरकार संसद में बिल पेश करेगी तो उस समय हम मुल्क के किसानों को संसद के अंदर से भी न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीद बारे भरोसा देंगे।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अकाली दल के प्रधान, जिन्होंने इस मुद्दे पर शिरोमणि अकाली दल की राय का स्पष्ट उल्लेख करार दिया, ने यह भी दावा किया था कि खेती कानूनों के जो अर्थ निकाले जा रहे हैं कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीद के लिए विध्वंसकारी साबित होंगे, पूरी तरह गलत हैं। उन्होने कहा कि बहुत बाद में जब अकालियों को किसानों के गुस्सा का सामना करना पड़ा और इस मुद्दे पर राजनैतिक अस्तित्व का ख़तरा पैदा हुआ तो उस समय उनको अपने पहले स्टैंड से पैर पिछे खींचने पड़े थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहाँ तक हरसिमरत बादल का सवाल है, उसने फेसबुक पर वीडियो अपलोड करके स्पष्ट शब्दों में खेती ऑर्डीनैंसों की हिमायत की जिसमें उसने इन खेती कानूनों को किसान समर्थकीय बताया। सत्ताधारी बैंचों की तरफ से लगाए जा रहे ‘शर्म करो’ के नारों के बीच मुख्यमंत्री ने कहा कि यहाँ तक कि यू.टर्न लेने से पहले अकालियों ने केंद्रीय कानूनों के खि़लाफ़ उनकी सरकार की तरफ से विधानसभा में लाए गए प्रस्ताव का समर्थन किया और इसको राज्यपाल को सौंपने के लिए उनके साथ राज भवन तक भी गए थे।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि केंद्रीय मत्री हरदीप पूरी और सोम प्रकाश भी स्पष्ट कर चुके हैं कि खेती ऑर्डीनैंस पास करते समय हरसिमरत बादल भी कैबिनेट मीटिंग का हिस्सा था और उसने इस पर कोई ऐतराज़ भी नहीं किया था।
अकाली नेताओं को‘दोगले चेहरे’ वाले नेता बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ये यहाँ कुछ और कहते हैं और वहां कुछ और कहते हैं। इन्होंने तो दोहरे मापदंड अपनाकर पंजाब विधानसभा के पवित्र सदन का मज़ाक बनाकर रख दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अकाली लगातार अपना पैंतरा बदलते रहे और अब किसान-हितैषी होने का दावा कर रहे हैं।’’
-NAV GILL

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