भविष्य पुराण में उपलब्ध हैं वर्तमान युग की भविष्यवाणियां

प्रदीप शाही

-कलयुग की सटीक भविष्यवाणी करती है आश्चर्यचकित

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वेद भारतीय संस्कृति में परम ज्ञान का स्त्रोत माने गए हैं। सृष्टि रचियता भगवान श्री ब्रह्मा जी द्वारा रचित वेदों के ज्ञान को पुराण को समझे बिना हासिल नहीं किया जा सकता है। भविष्य पुराण में वर्तमान युग की सभी भविष्यवाणियां उपलब्ध हैं। इतना ही नहीं कलयुग के बारे की गई सटीक भविष्यवाणियां सभी को आश्चर्यचकित करती हैं। महर्षि वेदव्यास ने भगवान श्री ब्रह्मा द्वारा रचित वेदों में समाहित अमूल्य ज्ञान को पुराण के माध्यम से सरल भाषा में संपादन करते हुए जनमानस के हित सौ करोड़ श्लोकों की संख्या को कम कर चार लाख तक सीमित कर दिया। पर अहम बात यह है कि मौजूदा समय में 129 अध्यायों में केवल 28 हजार श्लोक ही उपलब्ध रह गए हैं। बावजूद इसके वर्तमान युग के बारे विस्तार से जानकारी उपलब्ध हैं। भविष्य पुराण ब्रह्म, मध्यम, प्रतिसर्ग तथा उत्तर चार प्रमुख पर्वों में विभाजित है। इतिसाह से संबंधित प्रमुख घटनाओं का वर्णन प्रतिसर्ग पर्व में दर्ज है। अधिकतर इतिहासकार आमतौर से इसी प्रतिसर्ग को अपना आधार बना कर इतिहास की रचना करते हैं। गौर हो महर्षि वेदव्यास की ओऱ से रचित 18 पुराणों में भविष्य पुराण एक विशेष पुराण है। जो सदियों से चर्चा का विष्य रहा है। महर्षि व्यास ने अपनी दिव्य दृष्टि से हजारों साल बाद घटित होने वाले गतिवधियों को हजारों साल पहले ही लिपिबद्ध कर दिया था।

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महर्षि व्यास के बाद भविष्य पुराण के पहले संस्करण की रचना कब हुई

भविष्य पुराण के पहले संस्करण की रचना दूसरी शताब्दी के अंत में राजा शातकर्णि के राज्यकाल में की गई मानी जाती है। इस प्राचीन संस्करण में तत्कालीन सूत और मगध लोगों में प्रचलित राजवंशों के समूचे इतिहास की जानकारी को संग्रहित किया गया था। जबकि सबसे पहले भविष्य पुराण की रचना पांच हजार साल पहले महर्षि वेद व्यास ने की थी। भविष्य पुराण में भारत के राजवंशों, भारत पर शासन करने वाली विदेशी ताकतों के बारे में उल्लेख मिलता है। भविष्य पुराण में रचित लिपि दूसरी सदी के बाद मगध देश में पाली अथवा अर्धमगधी भाषा की है।

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यीशू के जन्म सहित कई अन्य जानकारियां उपलब्ध

भविष्य पुराण में यीशू(ईसा मसीह) के जन्म, हिमालय क्षेत्र की यात्रा, उस क्षेत्र के सम्राट शालिवाहन से मुलाकात के बारे विस्तार से जानकारी संग्रहित है। सबसे अहम बात यह है लंबे समय इस पुराण पर की जा रही शोध ने इसे सही माना है। प्रतिसर्ग पर्व के तीसरे भाग के दूसरे अध्याय में रचित श्लोकों में यह उल्लेख मिलता है कि यीशू ने लंबे समय तक भारत में निवास करते हुए तपस्या की। राजा शालिवाहन ने हिमालय की पहाड़ियों में एक तपस्यालीन पुरुष। को देखा। तब इस पुरुष ने बताया कि मेरा नाम ईसा मसीह है। और उसे एक कुंवारी मां ने जन्म दिया है। जहां बुराइयों का अंत नहीं है। मैं उस क्षेत्र से आया हूं। वहां पर मसीहा के रुप में जन्म लिया है। पुराण में वर्णित यह श्लोक ‘म्लेच्छदेश मसीहो हं समागत। ईसा मसीह इति च ममनाम प्रतिष्ठितम्। उक्त कथन को प्रमाणित करता है। गौर हो हजारों साल पहले रचित पुराण में ईसा से संबंधित अचूच भविष्यवाणी दर्ज हैं।

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यह श्लोक करता है कलयुग का खास वर्णन

भविष्य पुराण में वर्णित यह श्लोक रविवारे च सण्डे च फाल्गुनी चैव फरवरी। षष्टीश्च सिस्कटी ज्ञेया तदुदाहार वृद्धिश्म्। बेहद खास माना गया है। उक्त श्लोक अनुसार- भविष्य में रविवार को सण्डे, फाल्गुन महीने को फरवरी और षष्टी को सिक्स कहा जाएगा। कलयुग में लोगों के मन में केवल छल ही दिखाई देगा। दूसरों का अधिकार छीनना प्रमुख हो जाएगा। कलयुग में हर इंसान किसी न किसी लोभ से ग्रसित होगा। अहंकार के चलते इंसान नीचे गिरता चला जाएगा। माया ही सब कुछ होगी। माया के लिए किसी को भी मारा जाएगा। इस धरती पर दुष्ट, अनाचारी (मलेच्छ) लोगों का राज्य होगा।

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पुराण में मौर्य वंश, मुसलमान शासन, अंग्रेजी शासन की है सटीक जानकारी

पुराण में वर्णति यह श्लोक मुसलमानों की उत्पत्ति को परिभाषित करता है।

लिंड्गच्छेदी शिखाहीन: श्मश्रुधारी सदूषक:।
उच्चालापी सर्वभक्षी भविष्यति जनोमम।।25।।
विना कौलं च पश्वस्तेषां भक्ष्या मतामम।
मुसलेनैव संस्कार: कुशैरिव भविष्यति ।।26।।
तस्मान्मुसलवन्तो हि जातयो धर्मदूषका:।
इति पैशाचधर्मश्च भविष्यति मया कृत:।। 27

उक्त श्लोक की व्य़ाख्या अनुसार रेगिस्तान की धरती पर महामद नाम के इंसान का जन्म होगा। वो एक ऐसे धर्म की नींव रखेगा। इस धर्म के लोग अपने लिंग के अग्रभाग को जन्म लेते ही काटेंगे। यह लोग दाढ़ी रखेंगे। पर मूंछ नहीं रखेंगे। अन्य मानव जाति के खिलाफ खड़े होंगेय़ यह लोग अपने आप को मुसलमान कहेंगे।

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पुराण में तैमूर, बाबर, हुमायूं, अकबर, औरंगजेब, पृथ्वीराज चौहान तथा छत्रपति शिवाजी के बारे में भी जानकारी मिलती है। जब हिन्दू तथा मुसलमानों में परस्पर विरोध होगा और औरंगजेब का राज्य होगा। पुराण में नंद, मौर्य वंश, शंकराचार्य के अलावा हर्षवर्धन, चौहान व परमार वंश के राजाओं तक का वर्णन है। इतना ही नहीं इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के भारत की साम्राज्ञी बनने के भी जानकारी है।

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कलयुग में कुछ लोग परमात्मा की उपस्थिति और धर्मग्रंथों की प्रमाणिकता को भी चैलेंज करेंगे। पुराणों में भारत में अब तक शासन कर चुके शासकों की जानकारी भी है। हर जानकारी इन भविष्यवाणियों का अपनी-अपनी समझ अनुसार अर्थ निकालता है। घोर कलयुग में सौराष्ट्र, अवंति, अधीर, शूर, सिंधु, मालव देश के ब्राह्मण संस्कारों से विमुख हो जाएंगे। जबकि शासक शूद्र भांति (यानि की धर्म का विरोध करने वाले) हो जाएंगे। गौर हो सिंधु का अधिकतर तटवर्ती क्षेत्र अब पाकिस्तान का हिस्सा बन गए हैं। कुछ कश्मीर में हैं। जहां नाममात्र के ब्राह्मण रह गए हैं। राजधर्म का लगभग अंत हो जाएगा।

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