बड़े भैया संजय राउत जी के नाम एक पत्र

बड़े भैया आ संजय जी,
सादर चरण स्पर्श
बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाले देश में
खूब लड़ी मर्दानी
वो तो झाँसी वाली रानी है।।

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कंगना रनौत

बात ये नहीं है कि उसने सही कहा या गलत।।
अभी तो बात ये है कि उसने मर्दों वाली बात कह दी है, ताल ठोंक दिया है कि
9 तारीख को आ रही हूँ—किसी में हिम्मत हो तो रोक ले मुझे।।
यहीं से उसकी जीत शुरू।।

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उसकी जीत के लिए बस इतना कह देना ही काफी है।
एक अकेली लड़की ने एक मर्द यानि आपको चुनौती दी है।। इसमें किसी अन्य को अभी कूदने की जरूरत ही नहीं है।।
क्योंकि मुकाबला हमेशा बराबर का होता है।।
एकमात्र लड़की और पूरे महाराष्ट्र में नहीं।
ये ठीक नहीं।।
अब अगर उसे कोई मार भी डाले जान से— तो भी वो अमर हो गयी है।। क्योंकि उसने छिपे हुए हर अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठा दी है–
अकेले अपने दम पर।।
बिना किसी कुर्सी पर बैठे हुए।।
बिना सत्ता के नशे में।

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बाकी सभी योद्धाओं की हार है।।
जरा सोचिए भैया
मुम्बई में इतने दिनों से रह रही थी—- कभी कुछ नहीं कहा।।। आज ही क्यूँ कहा ??
यकीनन उसे कुछ न कुछ खराब लगा होगा, कोई कष्ट हुआ होगा— तभी तो बेचारी चीखी है।
उसकी मदद करने के बजाय उसकी चीख को दबा रहे हैं आप—-ये ठीक नहीं।
अपनी उस कमी पर अध्ययन करने के बजाय,
समाधान करने के बजाय,
मदद करने के बजाय……
सबने कौवे के पीछे भागने में ही अपनी बुद्धिमानी दिखायी।।
धिक्कार है।
अरे कह रही है– तो कहने दो उसे।।
हम सब इतने ही बहादुर होते–तो ये देश कभी गुलाम न बनता।।
आज वो चले गए– तो सभी मूँछ ऐंठने लगे।।
तब कहाँ थी आज की बहादुरी — जब Indian black dogs are not allowed कहते थे वे।
आज कंगना ने कुछ कह दिया – – तो इतना बौवाल।।
उस बेचारी की जान लेने पर उतारू हो गए हैं।।
अपनी पुरानी बहादुरी भूल कर नई बहादुरी के तहत सभी लोग उसे डरा रहे हैं ।।
उसके चित्र पर कोई जूते चप्पल मार रहा है।। कोई जला रहा है।। कोई धमका रहा है।
अरे क्या कर लेंगे उसका।। मार डालेंगे।। यही न।। इससे ज्यादा क्या कर सकते हैं।।
बड़े भैया संजय राउत जी,
कंगना को मारने या पकड़ने या रोकने आप खुद मत जाइयेगा—- किसी स्त्री को ही भेजिएगा — वरना आपकी बेज्जती ही होगी।।
क्योंकि आप मर्द हैं।। वो एक बच्ची।।
आपकी जीत भी आपकी हार ही होगी।।
कंगना बच्ची है।। अगर उसने कुछ कह दिया— तो उसे माफ कर देना चाहिए।।
क्षमा बड़न को चाहिए।।
उसकी बात को आपको सुनना – समझना चाहिए।। उसकी समस्या का निराकरण भी करना चाहिए।।
मुम्बई को POK कहा है —-तो उसकी इस बात पर चिंतन, मनन करने की जरूरत है।। कि उसने ऐसा क्यूँ कहा ।।
चेहरे पर गंदगी लगी हो— तो चेहरा साफ किया जाता है।। आईना नहीं फोड़ा जाता।।
आपकी हरकत उसकी शिकायत को सत्य साबित कर देगी।। इसलिए इसपर भी विचार करने की जरूरत है।।
अरे भाई
मुम्बई के प्रति उसके प्यार की गहराई को भी तो देखिये– मुम्बई किसी के बाप की नहीं है।।
उसके इस वाक्य में कोई खराबी नहीं है।। बल्कि गौर से देखिये, समझिये।।
इसमें उसका मुम्बई के प्रति अटूट प्यार झलक रहा है।। मुम्बई को वो अपना समझ रही है।। अपना ही मान रही है।। अपना कह रही है।। मुम्बई के लिए अपना जान देने को तैयार है–तभी ताल ठोंककर आ रही है।। इसमें क्या दिक्कत है।। ये तो महाराष्ट्र की धरती की ऊर्जा है।। शक्ति है।। यही पहचान है।
उसे माफ कीजिये और इंसाफ कीजिये।।
सुशांत की मौत हुई है— उसको न्याय दिलाना चाहिए आपको।।

यकीनन आप उसका सम्मान करेंगे,
दिल से स्वागत करेंगे,
उस बहादुर मर्द बेटी को आप अपना आशीर्वाद देंगे।।
कि कोई तो है— जिसने आवाज़ उठाई।।

-Vibhor

 

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