किसानों के बीच आक्रोश और बेचैनी के लिए पंजाब नहीं, भाजपा जि़म्मेदार: कैप्टन अमरिंदर सिंह

चण्डीगढ़, 30 अगस्त:

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने हरियाणा में अपने समकक्ष द्वारा किसानों के आंदोलन की जि़म्मेदारी पंजाब के ऊपर डालते हुए शांतमयी रोष प्रकट कर रहे किसानों पर किए गए आपराधिक हमले के पक्ष के बचाव की कड़ी निंदा की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एम.एल. खट्टर की टिप्पणियों ने हरियाणा सरकार के किसान विरोधी एजंडे का पर्दाफाश कर दिया है।

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पंजाब के मुख्यमंत्री ने एम.एल. खट्टर और उनके डिप्टी दुश्यंत चौटाला को याद करवाया कि भारतीय जनता पार्टी की मीटिंग के विरोध में प्रदर्शन कर रहे जिन किसानों पर लाठीचार्ज करवाया गया था, वह पंजाब के नहीं हरियाणा के किसान थे। कैप्टन अमरिन्दर ने यह प्रतिक्रिया खट्टर और चौटाला द्वारा कृषि कानूनों के खि़लाफ़ किसान आंदोलन के पीछे पंजाब का हाथ होने के लगाए गए दोषों के संदर्भ में दी।

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किसानों की नाराजग़ी के लिए सीधे तौर पर भाजपा को जि़म्मेदार ठहराते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि संकट इस हद तक गहराया ना होता, यदि हरियाणा के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री समेत भारतीय जनता पार्टी ने शांतमयी किसानों पर हुए घृणित हमले के लिए शर्मनाक ढंग से झूठ बोलने की बजाय किसानों की चिंताओं की तरफ ध्यान दिया होता और उनके दर्द का एहसास होता। उन्होंने खट्टर के इस दावे को भी रद्द कर दिया कि किसानों द्वारा राज्य की अमन-शांति में गड़बड़ी पैदा किए जाने के बाद ही हरियाणा पुलिस ने अपने बल का प्रयोग किया था। उन्होंने कहा कि एस.डी.एम. द्वारा किसानों पर कार्रवाई करने के लिए पुलिस कर्मचारियों को स्पष्ट हिदायतें दिए जाने की वायरल हुई वीडियो ने हरियाणा के मुख्यमंत्री के झूठ पर से पर्दा उठा दिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘एस.डी.एम. यह बात किस तरह जानता है कि किसानों का इरादा पत्थर आदि फेंकने का है, जैसे कि खट्टर ने दावा किया है?’’

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कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने हरियाणा के नेताओं को कहा, ‘‘आपको यह नहीं दिखता कि आपके अपने राज्य के किसान उनके प्रति उदासीन रवैया अपनाने और कृषि कानून रद्द करने के लिए आपकी पार्टी द्वारा टस से मस ना होने के कारण वह आप से खफ़़ा हैं?’’ उन्होंने आगे कहा कि किसान अपनी होंद की लड़ाई लड़ रहे हैं और उनको अपने और अपने परिवारों की रक्षा के लिए पंजाब या किसी अन्य राज्य के उकसावे में आने की ज़रूरत नहीं है।

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कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि कोविड की महामारी के दरमियान भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा थोपे गए अलोकतांत्रिक कृषि कानूनों के सम्बन्ध में समूचे देश की संवेदना किसानों के साथ है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को रद्द करने से इन्कार करने की भाजपा की हठधर्मी यह सिद्ध करती है कि इसमें भाजपा और उनकी लीडरशिप के संकुचित हित छिपे हुए हैं, जो एक बार फिर आम आदमी पर अपने पूँजीपति मित्रों का प्रभाव डालना चाहती है।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र में आपकी पार्टी द्वारा पैदा की गई गड़बड़ी के लिए पंजाब को जि़म्मेदार ठहराने की बजाय आप कृषि कानून रद्द करो। उन्होंने चेतावनी दी कि अलग-अलग राज्यों में होने वाले आगामी विधान सभा चुनावों और इसके बाद अन्य चुनावों के दौरान भाजपा को अपने गुनाहों की कीमत चुकानी पड़ेगी। खट्टर सरकार द्वारा किसानों के आंदोलन को जबरन ख़त्म करने की बार-बार की जा रही कोशिशों और भाजपा के अलग-अलग नेताओं द्वारा किसानों के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करना, उनकी पार्टी पर ही उल्टा पड़ेगा।

यह याद करते हुए कि किसानों ने दिल्ली की सरहदों की तरफ कूच करने से पहले दो महीने पंजाब भर में रोष प्रदर्शन किए थे, मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके राज्य में इस समय के दौरान हिंसा की एक भी घटना नहीं देखी गई। उन्होंने आगे कहा ‘‘हाल ही में, जब गन्ना किसानों ने विरोध प्रदर्शन किए तो हमने उनको दबाने के लिए ताकत का अंधाधुन्ध प्रयोग करने की बजाय उनके साथ बातचीत की और मसला हल किया।’’

गन्ना किसानों के विरोध का हल किए जाने के बाद किसान नेताओं द्वारा कैप्टन अमरिन्दर सिंह को लड्डू खिलाने पर खट्टर की टिप्पणी का जवाब देते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आप कृषि कानून रद्द कर दो और फिर न सिफऱ् किसान बल्कि मैं भी आपको लड्डू खिलाऊँगा।’’

कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि वह और उनकी सरकार किसान विरोधी कानूनों के खि़लाफ़ किसानों के साथ डटकर खड़े हैं और यहाँ तक कि भाजपा की बेरुख़ी के कारण दिल्ली की सरहदों पर जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को पंजाब सरकार द्वारा मुआवज़ा और नौकरियाँ भी दी जा रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक सरकार या एक राजनैतिक पार्टी जो अपनी निगरानी अधीन ऐसी घटनाओं के घटने और कीमती जीवन के नुकसान होने की आज्ञा देती हो, ज़्यादा देर टिक नहीं सकती।’’ उन्होंने भाजपा को सख़्त चेतावनी देते हुए कहा कि इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, अपने अंहकार को छोडक़र देश के अन्नदाता की तकलीफ़ों की तरफ ध्यान दो।

-Nav Gill

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