क्या अब भारत, चीन खिलाफ अपनाएगा जापानी रणनीति ?

-भरतीय विशाल खरीदार मंडी पर चीन के बाद अमेरिका की नजर

प्रदीप शाही

चीन से पैदा हुआ कोरोना वायरस (KOVID-19) की चपेट में भारत सहित समूचा विश्व आ चुका है। लाखों की तादाद में लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। जबकि हजारों की तादाद में लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण में निरतंर तेजी से आने से संक्रमित होने और मौत के आंकड़ों में रोजाना ही परिवर्तन आ रहा है। वायरस के चलते समूचे विश्व में स्थितियां बेहद चिंताजनक बनती जा रही है। सभी जानते हैं कि चीन औऱ अमेरिका के संबंध अच्छे नहीं है।

विश्व में जनसंख्या के नाम भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत, चीन के लिए विश्व की सबसे मंडी है। जिस पर अमेरिका की भी नजर है। ऐसे में चीन को भारत संग अपने संबंध मजबूत रखना मजबूरी बनेगा। जबकि अमेरिका, भारत संग अपने मधुर संबंधों को पहले से अधिक बेहतर बना कर इस मंडी में पहले से अधिक निर्यात करने की कोशिशें करेगा। भारत सहित विश्व वायरस के कारण आर्थिक मंदी में फंस गया है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका औऱ जापान के आपसी संबंध मधुर नहीं है। विश्व युद्ध के बाद मौजूदा समय तक अमेरिका, जापान में कोई भी सामान निर्यात नहीं कर पा रहा है। अब क्या भारत भी चीन खिलाफ जापानी रणनीति को अपनाएगा।

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भारत, चीन के लिए विश्व की सबसे खऱीदार मंडी

भारत में चीन निर्मित सामान की बिक्री बेहद जोरों पर होती है। या यूं कहें कि भारत, चीन के बने सामान का बहुत खरीदार है। चीन निर्मित सस्ता सामान धड़ल्ले से बिकता है। जानकारी के अनुसार चीन भारत में मशीनरी, टेलिकॉम उपकरण, बिजली से जुड़े उपकरण, ऑर्गैनिक केमिकल्स यानी जैविक रसायन औऱ खाद की बिक्री करता है। इस सदी की शुरुआत में यानी साल 2000 में भारत औऱ चीन के मध्य केवल तीन अरब डॉलर का व्यापार था। जो 2008 में बढ़कर 51.8 अरब डॉलर हो गया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के वेबसाइट के मुताबिक, 2018 में भारत चीन के बीच 95.54 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था। जबकि भारत ने मात्र 18.84 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया। इस तरह से भारत को वर्ष 2018 में चीन संग 57.86 अरब डॉलर का व्यापारिक घाटा हुआ था।वर्ष 2019 में चीन का व्यापार आंकड़ा 100 बिलियन डॉलर पार कर जाएगा। उक्त आंकड़ों के चलते भारत को चीन संग नई रणनीति बनाने की आवश्यकता है।

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अमेरिका की भारत की खरीदार मंडी पर नजर

चीन से उत्पन्न कोरोना वायरस से अमेरिका भी भारी नुकसान झेल रहा है। बीते लंबे समय से चीन और अमेरिका के संबंधों में कड़वाहट साफ देखी जा रही है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के भारत संग बेहद मधुर संबंध है। यह संबंध पहले से अधिक बेहतर होने की संभावना भी बन गई है। अमेरिका की भारत की विशाल खरीदार मंडी पर नजर है। अमेरिका की कोशिश है कि वह भारत में अधिक से अधिक निर्यात कर चीन को नुकसान दे सके। गौर हो भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वर्ष 2016  में 118 अरब डॉलर था। जो  2017 में 140 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। अब यह व्यापार 180 अरब डॉलर तक पहुंचने के का अनुमान है।

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भारत को अपनानी होगी जापान की रणनीति

दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम से हमला किया था। जापान ने अपनी कड़ी मेहनत से विश्व भर में एक नया मुकाम स्थापित किया। इतना ही नहीं उन्होंने अमेरिका के साथ अपने संबंधों की नई परिभाषा भी लिखी। आज भी जापान में अमेरिका से कोई भी सामान आयात नहीं किया जाता है। माहिरों का मानना है कि भारत को भी जापान की उस रणनीति को अपनाते हुए चीन से आयात में कमी ला कर अपने निर्माताओं को मजबूती देनी चाहिए। ताकि वायरस के बाद उत्पन्न हुई आर्थिक मंदी से भारत सही ढंग से लड़ सके।

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इटली ने की नुकसान की चीन से भरपाई की मांग

कोरोना वायरस के चलते विश्व में मौजूदा समय तक इटली को सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ा है। आर्थिक मंदी ने इटली को जकड़ लिया है। अब इटली ने चीन से वायरस के कारण हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग की है। क्योंकि चीन से पैदा हुए वायरस के कारण ही समूचा विश्व आर्थिक मंदी का शिकार हुआ है।

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क्या कहते हैं कैट के महासचिव

कनफे़डरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है। उड़ी में जिस तरह से पाकिस्तान द्वारा हमला किया गया। वो सीधा भारत की अस्मिता पर हमला था। तब चीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। भारत को उसी समय चीन समेत उन सब देशों के साथ अपने व्यापारिक संबंध पर पुनर्विचार कर सबक सिखाना चाहिए था। यह वायरस के कारण यह स्थिति फिर उत्पन्न हो गई है। हमें अपने स्वदेशी सामान के निर्माण को बढा कर विदेशी आय़ात को रोकना होगा। ताकि हम आर्थिक मंदी से भी उबर सके।

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